वसुधैव कुटुम्बकम
Friday, August 16, 2024
A digital planner is an electronic version of a traditional paper planner that you can use on devices like tablets, smartphones, or computers. It functions like a regular planner, allowing you to organize your schedule, set goals, track tasks, and manage your time, but it offers additional features like:
Customization: You can easily change layouts, add pages, or insert stickers and images.
Interactivity: Some digital planners are interactive, allowing you to tap on dates or tasks to link to other sections or to-do lists.
Portability: You can carry it with you on your device without the need for physical space.
Integration: It can sync with other digital tools like calendars, to-do lists, or cloud services, making it easier to stay organized across platforms.
Eco-friendly: It reduces paper use, which is better for the environment.
Popular formats include PDF planners that work with note-taking apps like GoodNotes or Notability, or specialized planner apps designed specifically for digital planning.
Sunday, January 8, 2012
Saturday, January 7, 2012
Jai PANUN KASHMIR
Kashmiri Pandit Youth meets for PANUN KASHMIR
"The journey of a thousand miles begins with one step."
1st International Kashmiri Pandit Youth Conference Live Webcast of Day 2
Image Courtesy Facebook KP member Profile
Image Courtesy Facebook KP member Profile
Print Media Coverage Day 1
Times of India
Indian Express
http://www.indianexpress.com/news/kashmiri-pandit-meet-kicks-off/897155/
“The first step towards getting somewhere is to decide that you are not going to stay where you are.”
“Take the first step, and your mind will mobilize all its forces to your aid. But the first essential is that you begin. Once the battle is startled, all that is within and without you will come to your assistance.”
Once again thanks to each and every member for taking this FIRST STEP
Good Luck
Wednesday, January 4, 2012
YOUTH 4 PANUN KASHMIR
Wake Up Call
Great Initiative by the KP Youth for KP Youth
PUNE SE KASHMIR CHALO
PANUN KASHMIR EXPRESS
Thanks to each & every member of this Event
Good Luck
Labels:
YOUTH 4 PANUN KASHMIR
Location:
Hyderabad, Andhra Pradesh, India
Wednesday, January 2, 2008
Friday, April 27, 2007
रहीम के दोहे
छिमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात।कह रहीम हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात॥1॥
तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥2॥
दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे होय॥3॥
खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान।रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥4॥
जो रहीम ओछो बढ़ै, तौ अति ही इतराय।प्यादे सों फरजी भयो, टेढ़ो टेढ़ो जाय॥5॥
बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय।रहिमन बिगरे दूध को, मथे न माखन होय॥6॥
आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि।ये तीनों तब ही गये, जबहि कहा कछु देहि॥7॥
खीरा सिर ते काटिये, मलियत नमक लगाय।रहिमन करुये मुखन को, चहियत इहै सजाय॥8॥
चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह।जिनको कछु नहि चाहिये, वे साहन के साह॥9॥
जे गरीब पर हित करैं, हे रहीम बड़ लोग।कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग॥10॥
जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।बारे उजियारो लगे, बढ़े अँधेरो होय॥11॥
रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि॥12॥
बड़े काम ओछो करै, तो न बड़ाई होय।ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरिधर कहे न कोय॥13॥
माली आवत देख के, कलियन करे पुकारि।फूले फूले चुनि लिये, कालि हमारी बारि॥14॥
एकहि साधै सब सधै, सब साधे सब जाय।रहिमन मूलहि सींचबो, फूलहि फलहि अघाय॥15॥
रहिमन वे नर मर गये, जे कछु माँगन जाहि।उनते पहिले वे मुये, जिन मुख निकसत नाहि॥16॥
विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय।हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥17॥
बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर॥18॥
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब्ब।पल में परलय होयगी, बहुरि करेगा कब्ब॥19॥
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलया कोय।जो दिल खोजा आपना, मुझसा बुरा न कोय॥20॥
निंदक नियरे राखिये, आँगन कुटी छवाय।बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुहाय॥21॥
रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय।सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय॥22॥
रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर।जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर॥23॥
ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय।औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय॥24॥
मन मोती अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय।फट जाये तो ना मिले, कोटिन करो उपाय॥25॥
दोनों रहिमन एक से, जब लौं बोलत नाहिं।जान परत हैं काक पिक, ऋतु वसंत कै माहि॥26॥
रहिमह ओछे नरन सो, बैर भली ना प्रीत।काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँति विपरीत॥27॥
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥28॥
रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥29॥
वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग।बाँटनवारे को लगै, ज्यौं मेंहदी को रंग॥30॥
तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥2॥
दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे होय॥3॥
खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान।रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥4॥
जो रहीम ओछो बढ़ै, तौ अति ही इतराय।प्यादे सों फरजी भयो, टेढ़ो टेढ़ो जाय॥5॥
बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय।रहिमन बिगरे दूध को, मथे न माखन होय॥6॥
आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि।ये तीनों तब ही गये, जबहि कहा कछु देहि॥7॥
खीरा सिर ते काटिये, मलियत नमक लगाय।रहिमन करुये मुखन को, चहियत इहै सजाय॥8॥
चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह।जिनको कछु नहि चाहिये, वे साहन के साह॥9॥
जे गरीब पर हित करैं, हे रहीम बड़ लोग।कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग॥10॥
जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।बारे उजियारो लगे, बढ़े अँधेरो होय॥11॥
रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि॥12॥
बड़े काम ओछो करै, तो न बड़ाई होय।ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरिधर कहे न कोय॥13॥
माली आवत देख के, कलियन करे पुकारि।फूले फूले चुनि लिये, कालि हमारी बारि॥14॥
एकहि साधै सब सधै, सब साधे सब जाय।रहिमन मूलहि सींचबो, फूलहि फलहि अघाय॥15॥
रहिमन वे नर मर गये, जे कछु माँगन जाहि।उनते पहिले वे मुये, जिन मुख निकसत नाहि॥16॥
विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय।हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥17॥
बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर॥18॥
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब्ब।पल में परलय होयगी, बहुरि करेगा कब्ब॥19॥
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलया कोय।जो दिल खोजा आपना, मुझसा बुरा न कोय॥20॥
निंदक नियरे राखिये, आँगन कुटी छवाय।बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुहाय॥21॥
रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय।सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय॥22॥
रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर।जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर॥23॥
ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय।औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय॥24॥
मन मोती अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय।फट जाये तो ना मिले, कोटिन करो उपाय॥25॥
दोनों रहिमन एक से, जब लौं बोलत नाहिं।जान परत हैं काक पिक, ऋतु वसंत कै माहि॥26॥
रहिमह ओछे नरन सो, बैर भली ना प्रीत।काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँति विपरीत॥27॥
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥28॥
रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥29॥
वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग।बाँटनवारे को लगै, ज्यौं मेंहदी को रंग॥30॥
Wednesday, March 21, 2007
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